शादियों में लाइट उठाने और घरों में काम करने वाले बच्चों को बाल श्रम से रोकने के लिए चलेगा विशेष अभियान- एम् के एस सुंदरम

लखनऊ। प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन डॉ एम् के शंमुगा सुन्दरम ने कहा कि सरकार ने बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब शादियों, समारोहों में लाइट उठाने, बर्तन धोने जैसे कामों में लगे बच्चों और घरों में झाड़ू-पोंछा, खाना बनाने जैसे काम करने वाले बच्चों को बचाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके आलावा ईंट के भट्ठों पर बाल श्रम कानून को कड़ाई से पालन कराने का निर्देश दिया गया है।

बच्चों को स्कूल और शिक्षा की ओर वापस लाना। माता-पिता और नियोक्ताओं को बाल श्रम के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना है। उक्त निर्देश शुक्रवार को बापू भवन स्थित सभागार में बाल श्रम उन्मूलन एवं पुनर्वासन कार्यक्रम में सहयोग व समन्वय के लिए प्रदेश के नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक आवश्यक बैठक में कही।

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बैठक में ईंट निर्माता समिति, उत्तर प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न उद्योग संघों के प्रतिनिधि भाग लिए | उत्तर प्रदेश सरकार के संकल्प 2027 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन किये जाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई। बैठक में बाल श्रम अधिनियम के प्रमुख प्रविधानों बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध के मुख्य प्रविधानों का प्रस्तुतीकरण किया गया।

डॉ एम् के शंमुगा सुन्दरम ने बैठक में उपस्थित प्रतिनियों तथा विभागीय अधिकारीयों से अपील की कि बाल श्रम जैसी कुप्रथा को 2027 तक प्रदेश से उन्नमूलन किया जा सके। इस कुप्रथा के विरुद्ध प्रचार प्रसार करने में नियोक्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस कुप्रथा को रोकने के लिए संबंधित नियोजकों को भी जागरूक करने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों के शैक्षिक पुनर्वास उनके अभिभावकों के आर्थिक पुनर्वासन में भी सेवायोजकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।

ईट निर्माता समिति के पदाधिकारीयो ने न्यूनतम वेतन निर्धारण कि बात रखी। इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव ने श्रमायुक्त को ईट निर्माता समिति के पदाधिकारीयों को न्यूनतम वेतन निर्धारण के समय सुनवाई का अवसर देने का निर्देश दिया।प्रमुख सचिव ने विभिन्न संघो के पदाधिकारीयों द्वारा उठाई गयी समस्यों का संज्ञान लेते हुए स्कूल ऑन व्हील एवं कार्यस्थल पर शैक्षिक क्रिया कलाप की व्यवस्था कराए जाने में सेवायोजको से अपील की।

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इस अवसर पर श्रमायुक्त मार्कण्डेय शाही ने बताया कि बाल श्रम की स्थिति 2011 के जनगणना के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल 21.76 लाख कामकाजी बच्चे थे, जिसमें कुल तकरीबन 9 लाख बच्चे कामकाजी बच्चो रूप कार्य कर रहे थे। जनगणना वर्ष 2011 में कामकाजी बच्चों में लड़कियों की संख्या वृद्धि देखी गई है जोकि प्रदेश के लिए चिंताजनक हैं। बैठक में उपस्थित विशेष सचिव श्रम श्री निलेश कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में पृथक पृथक कार्य योजना बनाए जाने पर बल दिया।

बैठक का प्रस्तुतीकरण उप श्रम आयुक्त मुख्यालय कानपुर शमीम अख्तर द्वारा किया गया| बैठक में मुख्य रूप से बृजकिशोर मौर्या अपर श्रमायुक्त पंकज राणा, उप श्रमायुक्त, गिरजापति दिवेदी संयुक्त सचिव तथा प्रदेश के विभिन्न जनपदों लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, बाराबंकी ,ग़ाज़ियाबाद आदि जनपदों के इंट निर्माता संघों एवं उद्योग संघों के पदाधिकारियों द्वारा बैठक में प्रतिभाग किया गया।

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